भारत की Wind Energy इंडस्ट्री में बुनियादी ढांचे की कोई कमी नहीं है, लेकिन मांग में कमी और धीमी इंस्टॉलेशन दरें चिंता का विषय हैं। Suzlon Group के CEO JP Chalasani ने एक इंटरव्यू में यह साफ किया कि भारत के पास 20 GW की वार्षिक टर्बाइन उत्पादन क्षमता है, लेकिन उसका सिर्फ 20% ही उपयोग हो रहा है।
भारत में Wind Manufacturing Overcapacity, लेकिन डिमांड नहीं
JP Chalasani ने कहा कि भारत का Wind Energy सेक्टर आत्मनिर्भर है। Suzlon जैसे कंपनियों में 70-80% तक Domestic Value Component (DVC) होता है। फिर भी देश सिर्फ 20% Production Capacity का उपयोग कर रहा है।
मुख्य Underutilized क्षमता:
- Gearbox Production: 29 GW
- Blade Production: 28 GW
- Generator Production: 15 GW
उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि Coimbatore की 3 GW Generator Factory आज बंद पड़ी है क्योंकि कोई ऑर्डर नहीं है।
FY26 में 6 GW Wind Installation का Target
FY24 में Suzlon ने 710 MW इंस्टॉल किया, जो FY25 में बढ़कर 1550 MW हो गया। अब FY26 में कंपनी कम से कम 60% ग्रोथ का लक्ष्य लेकर चल रही है।
Chalasani ने बताया कि:
- लागत में कटौती कर Breakeven Point को 1300-1400 MW से घटाकर 650-700 MW कर दिया गया।
- कंपनी के पास अब पूरी तरह Debt-Free Balance Sheet और ₹2,000 करोड़ की कैश पोजिशन है।
- नया मॉडल S144 Wind Turbine (3.15 MW) सबसे सफल प्रोडक्ट साबित हुआ है।
बिजली की डिमांड और Wind Sector की स्थिति
May 2025 में कुल बिजली की मांग 4% घटी, लेकिन Peak Demand 231 GW तक पहुंच गई। इससे यह साबित होता है कि Grid को सपोर्ट देने के लिए Wind और अन्य Renewable Sources की जरूरत लगातार बनी रहेगी।
Chalasani को भरोसा है कि FY26 में 6 GW इंस्टॉलेशन जरूर संभव है।
क्या 2030 तक 100 GW का लक्ष्य पूरा हो पाएगा?
Chalasani का अनुमान है कि मौजूदा रफ्तार के अनुसार भारत 2030 तक 85-90 GW तक पहुंच सकता है, जो एक अच्छा प्रदर्शन होगा। उन्होंने कहा कि Land Acquisition और Execution से जुड़ी समस्याएं सुलझें तो ग्रोथ और तेज़ हो सकती है।
Suzlon की तीन-स्तरीय Growth Strategy
1. Commercial & Industrial (C&I) सेक्टर पर ज़ोर
Suzlon की कुल सेल्स में 55% हिस्सा C&I सेक्टर से आता है। हाल ही में JSPL के साथ Steel Plants के लिए Renewable Power सप्लाई को लेकर तीन बड़े करार किए गए।
2. Renom: Maintenance सर्विस बिजनेस
Suzlon की सब्सिडियरी Renom वर्तमान में ₹1,800 करोड़ का बिजनेस कर रही है, जिसमें EBITDA Margin 40% तक है। कंपनी भारत में पहली बार 25 साल की Wind Turbine Warranty दे रही है।
3. SEForge: Defence और Railways में विस्तार
SEForge नामक सब्सिडियरी के जरिए Suzlon अब Defence और Railway सेक्टर के लिए Foundry और Forging प्रोडक्ट्स की सप्लाई शुरू करने की योजना बना रही है।
क्या Suzlon Export Market में जाएगी?
Chalasani ने साफ किया कि फिलहाल कंपनी का पूरा फोकस भारत पर है। अभी कोई निर्यात नहीं किया जा रहा है। हालांकि कंपनी की मैन्युफैक्चरिंग क्षमता को 4.5 GW तक बढ़ाया गया है, जो पूरे साल लोड होने पर 5.5 GW उत्पादन कर सकती है।
Export की संभावना को लेकर उन्होंने कहा कि यह अभी Long-Term Vision का हिस्सा है।
निष्कर्ष
भारत में Wind Energy की मैन्युफैक्चरिंग क्षमता काफी अधिक है, लेकिन उसका सही उपयोग नहीं हो पा रहा है। अगर Installation रफ्तार बढ़े और पॉलिसी सपोर्ट मिले, तो भारत Wind Energy के मामले में वैश्विक लीडर बन सकता है।
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