SEBI का बड़ा कदम: ट्रेडिंग और क्लियरिंग फीस को अलग-अलग करने पर विचार। जानिए इससे कैसे बढ़ेगी पारदर्शिता और क्या होगा निवेशकों पर असर।
SEBI अब निवेशकों के लिए ट्रेडिंग सिस्टम को और ज्यादा पारदर्शी और उत्तरदायी बनाने की तैयारी में है। बाजार नियामक SEBI स्टॉक एक्सचेंज और Clearing Corporations (CCs) द्वारा वसूली जाने वाली फीस को अलग-अलग दिखाने पर विचार कर रहा है।
क्या है SEBI का नया प्रस्ताव?
SEBI ने 18 जून 2025 को हुई बोर्ड बैठक के बाद एक Working Group का गठन किया है, जो:
- ट्रेडिंग और क्लियरिंग फीस को अलग-अलग करने की संभावना की जांच करेगा
- Clearing Corporations की वित्तीय स्वतंत्रता और संचालन की समीक्षा करेगा
- शुल्क के प्रत्येक हिस्से को निवेशकों के सामने स्पष्ट रूप से दिखाने की दिशा में काम करेगा
SEBI चेयरमैन तुहिन कांत पांडेय के अनुसार:
“हमें लागत और इसके टिकाऊ बने रहने की स्पष्टता चाहिए। शुल्क अलग करने से संचालन संबंधी चिंताओं का समाधान होगा।”
अभी की स्थिति क्या है?
- अभी Clearing Corporations — जैसे NSE Clearing और BSE के ICCL — स्टॉक एक्सचेंज की पूर्ण स्वामित्व वाली इकाइयां हैं
- इन CCs की पूंजीगत जरूरतों के लिए एक्सचेंजों पर निर्भरता बनी रहती है
- वर्तमान में सभी फीस एक ही चार्ज में जुड़ी होती हैं — जिससे निवेशक को यह नहीं पता चलता कि क्लियरिंग शुल्क कितना है और ब्रोकर मार्जिन कितना
बदलाव से क्या होगा फायदा?
- निवेशकों को मिलेगा फीस ब्रेकअप में पारदर्शिता
- क्लियरिंग सर्विस प्रोवाइडर्स में बढ़ेगी जवाबदेही और प्रतिस्पर्धा
- Clearing Corporations को मिलेगी स्वतंत्रता और फाइनेंशियल ऑटोनॉमी
- SEBI आगे चलकर मानक खुलासा नियम (disclosure norms) भी लागू कर सकता है
SKI Capital Services के MD नरिंदर वाधवा कहते हैं:
“क्लियरिंग शुल्क और ब्रोकर मार्जिन का अलग-अलग विवरण ग्राहकों को जानना जरूरी है।”
ग्लोबल मॉडल्स से तुलना
देश | क्लियरिंग स्ट्रक्चर |
---|---|
USA (DTCC) | Member-owned, पारदर्शी मॉडल |
यूरोप (Eurex, Euroclear) | Multi-shareholder Ownership |
इंडिया (NSE, BSE) | Exchange-owned CCs |
चीन | CSDC – दो एक्सचेंजों का संयुक्त स्वामित्व |
भारत में फिलहाल DTCC जैसा स्वतंत्र मॉडल नहीं है, जिससे CC और एक्सचेंज के बीच स्वतंत्र निगरानी संभव नहीं हो पाती।
SGF में योगदान (FY24 Data):
संस्था | SGF योगदान (₹ करोड़) |
---|---|
NSE | ₹1,883 |
NSE Members (Extra) | ₹22 |
NSE Clearing | ₹1,103 |
BSE ICCL | ₹92 |
SGF (Settlement Guarantee Fund) क्लियरिंग के लिए जरूरी पूंजी है जो सेटलमेंट की सुरक्षा सुनिश्चित करता है।
निष्कर्ष:
SEBI की यह पहल भारत के कैपिटल मार्केट्स इंफ्रास्ट्रक्चर को और पारदर्शी, प्रतिस्पर्धी और उत्तरदायी बना सकती है। अगर ट्रेडिंग और क्लियरिंग शुल्क अलग हुए, तो निवेशकों को न केवल खर्चों की स्पष्ट जानकारी मिलेगी बल्कि Clearing Corporations को फाइनेंशियल रूप से आत्मनिर्भर बनने में मदद मिलेगी।
अब निवेशक जान पाएंगे: आपका पैसा कहां जा रहा है — एक्सचेंज को या क्लियरिंग हाउस को?
HDB Financial IPO 25 जून से खुलेगा, वैल्यूएशन में हो सकती है 30% की बड़ी कटौती
Bonus Alert: सरकारी नवरत्न कंपनी ने किया 1:4 बोनस शेयर का ऐलान, रिकॉर्ड डेट तय

नमस्कार दोस्तों, मेरा नाम वरुण सिंह है, मैं अपने खाली समय में यू ट्यूब पर फाइनेंस संबंधी वीडियो अपलोड करता हूं साथ ही ब्लॉगिंग भी कर रहा हूं। जो भी चीजें मैं व्यक्तिगत अनुभव से सीखता हूं उसको भी इस वेबसाइट के माध्यम से शेयर करने का प्रयास करता हूं। हमारी कोशिश है की हम अपने पाठकों के लिए उच्च गुणवत्ता से युक्त आर्टिकल प्रकाशित करें।