जब Dhirubhai Ambani ने ‘Bear Cartel’ को दिया करारा जवाब: Reliance को डूबने से बचाया ‘Friends of Reliance’ ने

1980 के दशक में Kolkata के एक गिरोह ने Reliance Industries को नीचे गिराने की साजिश रची, लेकिन Dhirubhai Ambani की रणनीति और उनके NRI दोस्तों की एंट्री ने पूरा खेल पलट दिया।

1980s की Stock Market की सबसे बड़ी साज़िश और Dhirubhai Ambani की Masterstroke Strategy

भारत की शेयर बाजार की दुनिया में कई रोमांचक कहानियां हैं, लेकिन Reliance Industries और Bear Cartel के बीच 1980 के दशक में हुई यह जंग आज भी सबसे चर्चित घटनाओं में से एक मानी जाती है। ये कहानी ना सिर्फ Dhirubhai Ambani की बिज़नेस समझदारी दिखाती है, बल्कि यह भी बताती है कि सही वक्त पर लिए गए फैसले कैसे किसी कंपनी को गिरने से बचा सकते हैं।

क्या था Bear Cartel और क्यों था Reliance उनका Target?

1980 के दशक में Kolkata Stock Exchange (KSE) भारत के सबसे एक्टिव एक्सचेंजों में से एक था। उसी दौरान कुछ कोलकाता-बेस्ड ब्रोकर्स ने मिलकर एक Bear Cartel बनाया और Reliance Industries के शेयरों को गिराने की साजिश रची।

इस गिरोह का मकसद था – short-selling के जरिए Reliance के शेयरों की कीमत नीचे गिराना, ताकि वे Convertible Debentures को कम कीमत पर ज्यादा Equity Shares में बदल सकें।

Convertible Debentures: खेल का असली प्लॉट

Reliance Industries ने उस दौर में पब्लिक से फंड जुटाने के लिए Convertible Debentures जारी किए थे। यानी निवेशकों को पांच साल तक interest मिलता और अंत में वे पैसा वापस ले सकते थे या उसे equity shares में बदल सकते थे।

उदाहरण के लिए, अगर आपके पास ₹10,000 के debentures हैं और Reliance का एक share ₹125 में ट्रेड कर रहा है, तो आपको 80 shares मिलेंगे। लेकिन अगर शेयर ₹100 पर आ जाए, तो आपको 100 shares मिल सकते हैं।

इसलिए Bear Cartel की कोशिश थी कि शेयर की कीमत गिराई जाए ताकि debentures को ज्यादा shares में बदला जा सके।

कैसे गिराया गया शेयर का Price?

Bear Cartel ने Reliance के शेयर को ज़बरदस्त short-sell करना शुरू किया। उस वक्त ट्रेडिंग का सेटलमेंट हर दूसरे शुक्रवार को होता था। यानी आप आज बेचकर अगले हफ्ते तक delivery का इंतज़ाम कर सकते थे। यही loophole cartel ने इस्तेमाल किया।

नतीजा? Reliance का शेयर एक दिन में ₹131 से ₹121 तक गिर गया।

Dhirubhai Ambani की एंट्री और ‘Friends of Reliance’

जब Dhirubhai Ambani को इस साजिश का पता चला, तो उन्होंने हार मानने की बजाय पलटवार किया। कहा जाता है कि उन्होंने विदेश में अपने भरोसेमंद NRI दोस्तों को कॉल किया और Reliance के शेयर खरीदने की अपील की।

NRI निवेशकों ने शेयर खरीदना शुरू किया, जिससे demand बढ़ी और शेयर की गिरावट रुक गई। Bear Cartel को उम्मीद नहीं थी कि कोई उनके शॉर्ट सेलिंग गेम को काटेगा।

Undha Badla और तीन दिन की ट्रेडिंग बंद

Settlement Friday तक NRI निवेशकों ने पैसे चुकाकर Reliance के शेयर खरीद लिए थे, लेकिन Cartel के पास डिलीवरी के लिए शेयर नहीं थे।

उन्होंने Undha Badla की मांग की – यानी एक fee देकर अगले Friday तक settlement टालना। NRI ग्रुप ने इस rollover के लिए ₹25 per share चार्ज मांगा।

Cartel ने इतनी भारी fee देने से मना कर दिया, और ये विवाद इतना बढ़ गया कि BSE में तीन दिन तक ट्रेडिंग बंद रही।

अंत में क्या हुआ?

Cartel को आखिरकार Reliance के शेयर खरीदने पड़े, जिससे demand और बढ़ी और शेयर ₹201 तक पहुंच गया। यानी जो NRI निवेशकों ने ₹120-130 पर खरीदा था, वो अब जबरदस्त मुनाफे में थे।

इस पूरी रणनीति में उन NRI निवेशकों को नाम मिला – Friends of Reliance, और माना जाता है कि ये सब Dhirubhai Ambani की रणनीति का हिस्सा था। हालांकि यह कभी साबित नहीं हुआ।

क्या ये सब लीगल था?

यह पूरी घटना आज के कानूनों के हिसाब से illegal cartel activity मानी जाएगी – चाहे वो Bear Cartel हो या NRI ग्रुप। एक साथ मिलकर शेयर की कीमत पर असर डालना एक तरह का pump-and-dump scheme होता है, जो investors के लिए नुकसानदायक हो सकता है।

निष्कर्ष: Dhirubhai Ambani की रणनीति और Indian Stock Market का टर्निंग पॉइंट

इस कहानी से ये साफ है कि Dhirubhai Ambani ना केवल बिज़नेस के बादशाह थे, बल्कि जब समय आया तो उन्होंने बाजार की चाल को पलटकर रख दिया। Reliance को डूबने से बचाने की ये कहानी आज भी निवेशकों और बिज़नेस लीडर्स के लिए एक inspiration है।

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