RTI खुलासा: Recovery Agents पर PSU Banks ने उड़ाए करोड़ों, SBI ने RTI Appeal के बाद भी छुपाई जानकारी!

India Today की RTI से खुलासा हुआ कि PSU बैंकों ने पिछले 5 वर्षों में recovery agents पर करोड़ों खर्च किए, पर SBI समेत कई बैंकों ने इसे “commercial confidence” बताकर जानकारी छुपा ली। जानिए कौन-से बैंक पारदर्शी निकले।

भारत में सरकारी बैंकों द्वारा recovery agents का इस्तेमाल कोई नई बात नहीं है, लेकिन इन एजेंट्स की हिंसात्मक और अनैतिक वसूली प्रथाओं को लेकर समय-समय पर सुप्रीम कोर्ट ने भी फटकार लगाई है। इस बीच, India Today की एक RTI (Right to Information) पहल ने इस मुद्दे पर एक नई बहस छेड़ दी है — पब्लिक सेक्टर बैंकों (PSBs) द्वारा इन recovery agents पर टैक्सपेयर्स के पैसे से कितना खर्च किया जा रहा है?

आइए जानते हैं इस RTI से जुड़ी पूरी रिपोर्ट, किन बैंकों ने जानकारी दी, किसने नहीं दी, और सबसे ज़्यादा खर्च कहां हुआ।

RTI का उद्देश्य क्या था?

India Today ने Department of Financial Services (DFS) के पास RTI दायर कर मांगी थी ये जानकारियाँ:

  • पिछले 5 वर्षों में recovery agents पर सालाना खर्च
  • कितने agents को engage किया गया?
  • Commission payment और internal policy से जुड़ी डिटेल

DFS ने यह RTI सभी पब्लिक सेक्टर बैंकों को ट्रांसफर कर दी, और यहीं से सामने आया transparency vs opacity का असली फर्क।

इन बैंकों ने दी विस्तृत जानकारी

1. Punjab National Bank (PNB)सबसे पारदर्शी

PNB ने हर साल के एजेंट्स और उनके commission का पूरा ब्योरा साझा किया:

वर्षखर्च (₹ करोड़)एजेंट्स की संख्या
2019–20₹37.03514
2020–21₹36.71602
2021–22₹57.95626
2022–23₹81.57787
2023–24₹49.62590

हालांकि, PNB ने internal guidelines और audit/policy डॉक्युमेंट्स को “commercial confidence” बताते हुए साझा करने से मना कर दिया।

2. Bank of Maharashtraवर्ष-वार खर्च सामने रखा

वर्षखर्च (₹ करोड़)
2019–20₹14.26
2020–21₹16.94
2021–22₹21.23
2022–23₹21.38
2023–24₹31.08

एजेंट्स की संख्या 2022–23 में 476 से बढ़कर 2023–24 में 547 हो गई।

Payment structure, performance incentive और policies साझा करने से इनकार।

3. Central Bank of India5 साल का खर्च बताया

वर्षखर्च (₹ करोड़)एजेंट्स
2019–20₹2.42184
2020–21₹2.38159
2021–22₹3.00170
2022–23₹4.05201
2023–24₹5.87279

Policy-related दस्तावेज देने से इनकार: “Institutional interest” और “commercial confidence” का हवाला।

4. Indian Bankआधा-अधूरा डेटा

वर्षखर्च (₹ करोड़)एजेंट्स
2021–22₹33.20867
2022–23₹59.40988
2023–24₹68.74934

पहले के वर्षों का डेटा और payment structure नहीं दिया गया। RTI Act की धारा 8(1)(d) और 8(1)(j) का हवाला देते हुए इनकार।

इन बैंकों ने जानकारी देने से किया इनकार

बैंक का नामRTI का जवाब
State Bank of IndiaRTI और appeal दोनों पर इनकार, commercial confidence का हवाला
Bank of Barodaडेटा केंद्रीय रूप से maintain नहीं होता, Section 7(9) लागू
Bank of India“Public interest” नहीं है, SC judgement का सहारा
Canara BankRTI को “vague” बताकर website का लिंक दे दिया
Indian Overseas Bankजानकारी जुटाने में ज्यादा resource लगेंगे, इसलिए इनकार
Punjab & Sind BankRTI को specific नहीं मानते हुए पूरा डेटा ब्लॉक किया
Union Bank of Indiaडेटा maintain नहीं करते, Section 8(1)(d) का उपयोग
UCO Bank“Trade secrets” और commercial confidence का हवाला

SBI ने Appeal के बाद भी जानकारी छुपाई

State Bank of India, जो देश की सबसे बड़ी सरकारी बैंक है, उसने recovery agents पर खर्च से जुड़ी कोई भी जानकारी देने से साफ इनकार कर दिया — यहां तक कि RTI Appeal के बाद भी।

बैंक ने RTI Act की धारा 8(1)(d) के तहत इसे “trade secret” और “commercial confidence” बताते हुए जानकारी रोक दी।

यह रवैया बताता है कि SBI जैसे बड़े संस्थान भी पारदर्शिता में सबसे पीछे रह जाते हैं।

आखिर यह मुद्दा इतना महत्वपूर्ण क्यों है?

  • Recovery agents की धमकी भरी और अपमानजनक वसूली प्रथाएं पहले ही कई बार विवादों में रह चुकी हैं।
  • ये एजेंट्स सीधे तौर पर लाखों ग्राहकों के साथ संवाद में होते हैं, इसलिए इनका व्यवहार और नियंत्रण अत्यंत जरूरी है।
  • जब इन एजेंट्स को भुगतान taxpayers के पैसों से किया जा रहा है, तो उसकी जानकारी जनता के सामने आनी चाहिए

निष्कर्ष: पारदर्शिता की असली परीक्षा

  • PNB, Bank of Maharashtra और Central Bank ने दिखाया कि पारदर्शिता संभव है।
  • जबकि SBI, BoB, BOI जैसे बैंक RTI Act के प्रावधानों की आड़ में जवाब देने से कतराते हैं।
  • यह रिपोर्ट इस बात को उजागर करती है कि भारत में सरकारी बैंक भी जवाबदेही से बचने की कोशिश करते हैं — जब तक ज़बर्दस्त जनदबाव न हो।

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सूचना के अधिकार (RTI) के ज़रिए इस अहम जानकारी को उजागर करने के लिए India Today का आभार, जिसने पारदर्शिता की दिशा में एक सराहनीय पहल की है।

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